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कोतमा के सेमरिया चौराहा पर चल रहा 'दवा का गोरख धंधा'… बगैर फुटकर लाइसेंस खुलेआम बिक रही ज़िंदगी से खेलने वाली दवाएं

 कोतमा के सेमरिया चौराहा पर चल रहा 'दवा का गोरख धंधा'… बगैर फुटकर लाइसेंस खुलेआम बिक रही ज़िंदगी से खेलने वाली दवाएं

अनूपपुर।मामला अनूपपुर जिले के सेमरिया चौराहा के पास का है। जहां पर एक मेडिकल दुकान का बड़ा कारनामा निकल कर सामने आया है।मेडिकल की दुकान पर तो थोक विक्रेता का रजिस्ट्रेशन चस्पा किया हुआ है,पर दवाईयां फुटकर रूप से बेची जा रही है।

   लेकिन मामला यहां पर खत्म नहीं होता है दवाईयां फुटकर रूप से बिक तो रही है वो भी ऐसे व्यक्ति के द्वारा जिसे न तो मेडिकल की पढ़ाई का ज्ञान है और न ही उसके पास कोई फार्मेसी का डिप्लोमा है।इस बात की पुष्टि भी उसी व्यक्ति ने पूछताछ के दौरान ही की।

जब टीम ने की पूछताछ…

दुकान में मेडिकल स्टोर का थोक विक्रेता लाइसेंस टांगा गया था,जबकि नियमों के अनुसार फुटकर दवा विक्रय हेतु अलग लाइसेंस जरूरी होता है।

जब इस बात की पुष्टि के लिए दुकान मालिक से संपर्क किया गया तो वो वहा पर मौजूद ही नही थे,उनके द्वारा 2 दिन बाद मेडिकल में आने की बात कही गई।मतलब 2 दिनों तक वह मेडिकल उस व्यक्ति के हवाले थी जिसे मेडिकल का कोई ज्ञान ही नही था।

फिर भी वहीं बैठे व्यक्ति से जब सवाल किए गए तो उसने साफ कहा — "मैं ही यहां बैठता हूं, और दवा भी देता हूं।"

जब पूछा गया – क्या आप मेडिकल फील्ड से हैं? तो जवाब मिला – "नहीं... मैं तो बस दवा देता हूं।"

अभी का ये हाल है की आए दिन गलत दवाई और उनके सही डोस न मिलने की वजह से कितनी मौत हो रही है।और यह मेडिकल वाले ऐसे ही लोगो की मौत से खेल रहे है।

अब सवाल यह उठता है की इस तरह की लापरवाही की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा। क्यों एक मेडिकल दुकान का मालिक इस तरह से लोगो की जिंदगी से खेल रहा है।

क्या ड्रग इंस्पेक्टर D.I. साहब की सहमति से यह धंधा हो रहा है?

अगर किसी गलत दवा के इस्तेमाल से किसी की जान चली जाती है — तो ज़िम्मेदार कौन?

क्या दुकान मालिक ?

या बिना डिग्री वाला युवक?

या सिस्टम की चुप्पी?

सरकार और प्रशासन को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए नही तो यह मेडिकल की लापरवाही कभी भी किसी की जान ले सकती है।

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